Hukamnama Sri Darbar Sahib Amritsar Ang 634, Date 14-11-2025

LABANA JAGRATI SANDEDH  

Amrit vele da 

Hukamnama

 Sri Darbar Sahib

 Amritsar 

Ang 634,

 Date 14-11-2025

🙏



🙏

ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੯ ॥ 

ਪ੍ਰੀਤਮ ਜਾਨਿ ਲੇਹੁ ਮਨ ਮਾਹੀ ॥ ਅਪਨੇ ਸੁਖ ਸਿਉ ਹੀ ਜਗੁ ਫਾਂਧਿਓ ਕੋ ਕਾਹੂ ਕੋ ਨਾਹੀ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥

 ਸੁਖ ਮੈ ਆਨਿ ਬਹੁਤੁ ਮਿਲਿ ਬੈਠਤ ਰਹਤ ਚਹੂ ਦਿਸਿ ਘੇਰੈ ॥ ਬਿਪਤਿ ਪਰੀ ਸਭ ਹੀ ਸੰਗੁ ਛਾਡਿਤ ਕੋਊ ਨ ਆਵਤ ਨੇਰੈ ॥੧॥ 

ਘਰ ਕੀ ਨਾਰਿ ਬਹੁਤੁ ਹਿਤੁ ਜਾ ਸਿਉ ਸਦਾ ਰਹਤ ਸੰਗ ਲਾਗੀ ॥ ਜਬ ਹੀ ਹੰਸ ਤਜੀ ਇਹ ਕਾਂਇਆ ਪ੍ਰੇਤ ਪ੍ਰੇਤ ਕਰਿ ਭਾਗੀ ॥੨॥

 ਇਹ ਬਿਧਿ ਕੋ ਬਿਉਹਾਰੁ ਬਨਿਓ ਹੈ ਜਾ ਸਿਉ ਨੇਹੁ ਲਗਾਇਓ ॥ ਅੰਤ ਬਾਰ ਨਾਨਕ ਬਿਨੁ ਹਰਿ ਜੀ ਕੋਊ ਕਾਮਿ ਨ ਆਇਓ ॥੩॥੧੨॥੧੩੯॥

🙏🙏

ਅਰਥ:

ਹੇ ਮਿੱਤਰ! (ਆਪਣੇ) ਮਨ ਵਿਚ (ਇਹ ਗੱਲ) ਪੱਕੀ ਕਰ ਕੇ ਸਮਝ ਲੈ, (ਕਿ) ਸਾਰਾ ਸੰਸਾਰ ਆਪਣੇ ਸੁਖ ਨਾਲ ਹੀ ਬੱਝਾ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਕੋਈ ਭੀ ਕਿਸੇ ਦਾ (ਤੋੜ ਨਿਭਣ ਵਾਲਾ ਸਾਥੀ) ਨਹੀਂ (ਬਣਦਾ)।੧।ਰਹਾਉ।

 ਹੇ ਮਿੱਤਰ! (ਜਦੋਂ ਮਨੁੱਖ)! ਸੁਖ ਵਿਚ (ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਤਦੋਂ) ਕਈ ਯਾਰ ਦੋਸਤ ਮਿਲ ਕੇ (ਉਸ ਪਾਸ) ਬੈਠਦੇ ਹਨ, ਤੇ, (ਉਸ ਨੂੰ) ਚੌਹੀਂ ਪਾਸੀਂ ਘੇਰੀ ਰੱਖਦੇ ਹਨ। (ਪਰ ਜਦੋਂ ਉਸ ਨੂੰ ਕੋਈ) ਮੁਸੀਬਤ ਪੈਂਦੀ ਹੈ, ਸਾਰੇ ਹੀ ਸਾਥ ਛੱਡ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, (ਫਿਰ) ਕੋਈ ਭੀ (ਉਸ ਦੇ) ਨੇੜੇ ਨਹੀਂ ਢੁਕਦਾ।੧।

 ਹੇ ਮਿੱਤਰ! ਘਰ ਦੀ ਇਸਤ੍ਰੀ (ਭੀ) , ਜਿਸ ਨਾਲ ਬੜਾ ਪਿਆਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜੇਹੜੀ ਸਦਾ (ਖਸਮ ਦੇ) ਨਾਲ ਲੱਗੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਹੀ ਵੇਲੇ (ਪਤੀ ਦਾ) ਜੀਵਾਤਮਾ ਇਸ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਛੱਡ ਦੇਂਦਾ ਹੈ, (ਇਸਤ੍ਰੀ ਉਸ ਤੋਂ ਇਹ ਆਖ ਕੇ) ਪਰੇ ਹਟ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਮਰ ਚੁਕਾ ਹੈ ਮਰ ਚੁਕਾ ਹੈ।੨। 

ਹੇ ਨਾਨਕ! ਆਖ-ਹੇ ਮਿੱਤਰ! ਦੁਨੀਆ ਦਾ) ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਵਰਤਾਰਾ ਬਣਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ (ਮਨੁੱਖ ਨੇ) ਪਿਆਰ ਪਾਇਆ ਹੋਇਆ ਹੈ। (ਪਰ, ਹੇ ਮਿੱਤਰ! ਅਖ਼ੀਰਲੇ ਸਮੇ ਪਰਮਾਤਮਾ ਤੋਂ ਬਿਨਾ ਹੋਰ ਕੋਈ ਭੀ (ਮਨੁੱਖ ਦੀ) ਮਦਦ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦਾ।੩।੧੨।੧੩੯।

🙏🙏

सोरठि महला ९ ॥ 

प्रीतम जानि लेहु मन माही ॥ अपने सुख सिउ ही जगु फांधिओ को काहू को नाही ॥१॥ रहाउ ॥ 

सुख मै आनि बहुतु मिलि बैठत रहत चहू दिसि घेरै ॥ बिपति परी सभ ही संगु छाडित कोऊ न आवत नेरै ॥१॥ 

घर की नारि बहुतु हितु जा सिउ सदा रहत संग लागी ॥ जब ही हंस तजी इह कांइआ प्रेत प्रेत करि भागी ॥२॥

 इह बिधि को बिउहारु बनिओ है जा सिउ नेहु लगाइओ ॥ अंत बार नानक बिनु हरि जी कोऊ कामि न आइओ ॥३॥१२॥१३९॥

🙏🙏

अर्थ:

हे मित्र! (अपने) मन में यह बात पक्की तरह समझ ले, (कि) सारा संसार अपने सुख से ही बंधा हुआ है। कोई भी किसी का (अंत तक का साथी नहीं) बनता।१।रहाउ।

हे सखा! (जब मनुख)! सुख में (होता है, तब) कई यार दोस्त मिल के (उसके पास)बैठते हैं, और, (उस को) चारों तरफ से घेरें रखतें हैं। (परन्तु जब उस पर कोई) मुसीबत आती है, तब सारे ही साथ छोड़ जाते हैं, (phir)कोई (उस के) पास नहीं आता।१।

हे मित्र! घर की स्त्री (भी) जिससे बड़ा प्यार होता है, जो सदा (पति के) साथ लगी रहती है, जिस वक्त (पति की) जीवात्मा इस शरीर को छोड़ देती है, (स्त्री उससे ये कह के) परे हट जाती है कि ये मर चुका है मर चुका है।੨। 

हे नानक! (कह– हे मित्र! दुनिया का) इस तरह का व्यवहार बना हुआ है जिससे (मनुष्य ने) प्यार डाला हुआ है। (पर, हे मित्र! आखिरी समय में परमात्मा के बिना और कोई भी (मनुष्य की) मदद नहीं कर सकता।੩।੧੨।1੧੩੯।

🙏🙏

In English: 

Sorathi mahalaa 9 ||

Preetam jaani lehu man maahee || Apane sukh siu hee jagu phaandhio ko kaahoo ko naahee ||1|| rahaau ||

Sukh mai aani bahutu mili baithat rahat chahoo disi gherai || Bipati paree sabh hee sanggu chhaadit kou na aavat nerai ||1||

Ghar kee naari bahutu hitu jaa siu sadaa rahat sangg laagee || Jab hee hanss tajee ih kaaniaa pret pret kari bhaagee ||2||

Ih bidhi ko biuhaaru banio hai jaa siu nehu lagaaio || Antt baar naanak binu hari jee kou kaami na aaio ||3||12||139||

🙏🙏

Eng meaning:

Sorat’h, Ninth Mehl: 

O dear friend, know this in your mind. The world is entangled in its own pleasures; no one is for anyone else. ||1||Pause||

 In good times, many come and sit together, surrounding you on all four sides. But when hard times come, they all leave, and no one comes near you. ||1|| 

Your wife, whom you love so much, and who has remained ever attached to you, runs away crying, “Ghost! Ghost!”, as soon as the swan-soul leaves this body. ||2|| 

This is the way they act — those whom we love so much. At the very last moment, O Nanak,   no one is any use  at all, except the Dear Lord. ||3||12||139||

🙏🙏

लबाना जागृति सन्देश 
वीडियो देखें 

🙏🙏

आपको यह पोस्ट कैसी लगी? 
कृपया नीचे कमेंट्स बाक्स में बताए, 
आपकी राय हमें सम्बल प्रदान  करती  है  
👇🏻

🙏🙏🙏🙏🙏


🙏🙏🙏🙏🙏🙏

सन्त बाबा सीतलसिंह जी (महू वालों)  एवं सन्त बाबा हिम्मत सिंह साहिब दरबार के वर्तमान महन्त सन्त बाबा सुखदेव सिंह जी की कृपा आर्शीवाद  सदके यह सेवा दास कर पा रहा है
🙏

🙏

गद्दीनशीन महन्त सन्त बाबा सुखदेव सिंह साहिब जी  

सम्पर्क: 

महन्त सन्त सुखदेव सिंह जी 

सम्पर्क करें 👇 

मो. 9818126912



====/////=====

लबाना जागृति सन्देश 
सन्त सीतल सिंह जी (महू वालों) के आर्शीवाद से स्थापित एवं महन्त सन्त बाबा सुखदेव सिंह जी के आर्शीवाद से संचालित:
लबाना सिख समाज का अग्रणी पाक्षिक समाचार पत्र 
सम्पादक: 
जी. एल. लबाना 
9414007822
🙏🙏

 सिख समाज के  समाचारों से जुड़ने के लिये
 9414007822
 को सेव करें और अपना नाम, पता, जाति, निवास स्थान,  अपना वाटस्अप मोबाइल नम्बर लिख कर भेजें। 

🙏🙏

स्वजातीय लबाना सिख समाज के रिश्ते नाते जानने के लिये नीचे क्लिक कीजिए 

https://www.dailymaruprahar.page/2024/05/blog-post_27.html

सम्पादक का पता : 

प्लाट नम्बर 2, पत्रकार कालोनी कोटडा, 

अजमेर (राजस्था) 

सम्पर्क :  ई-मेल: 

bunty3555@yahoo.com

मो./वाट्सअप/फोन-पे:  9414007822

अर्जेन्ट : मो. - 9587670300 🙏
अधिक समाचार पढ़ने के लिए 👇

 किल्क करें 👇 

https://www.dailymaruprahar.page/?m 

अपने विचार नीचे कमेंट्स बाक्स में दें l




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रिश्तेनाते : रिश्ते- नाते : relationships वर- वधु चाहिए LABANA JAGRATI SANDESH लबाना जागृति सन्देश : रिश्ते - नाते

बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम भारत के चारों पवित्र धामों की जानकारी! 

लबाना सिख समाज को गोर्वानित करने वाली खुश खबर हरमीत कौर "खुशी" बनी गवर्नमेंट स्टाफ नर्स