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बजी शहनाईयां, अभिजीत - पूनम बने जीवन साथी, रविवार 26 नवम्बर 2023 को सम्पन्न हुआ आन्नद कारज

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बजी शहनाईयां,  अभिजीत - पूनम  बने जीवन साथी,  रविवार 26 नवम्बर 2023 को सम्पन्न हुआ आन्नद कारज बजी शहनाईयां, अभिजीत - पूनम बने जीवन साथी, रविवार 26 नवम्बर 2023 को सम्पन्न हुआ आन्नद कारज जालौर (जी.एस.लबाना), सरदारनी कलाकौर - स्व. सरदार मगनसिंह किरनोंत  के सुपौत्र, सरदारनी  मनप्रीत कौर - सरदार हरबंश सिंह, एवं सरदारनी गुरबच्चन कौर - सरदार राजेन्द्र सिंह के सुपुत्र काका अभिजीत सिंह का शुभ आन्नद कारज हस्तिनापुर, जिला  मेरठ (उ.प्र.) निवासी सरदारनी पार्वती कौर - सरदार गुरदिता सिंह की सुपौत्री, सरदारनी रजनी कौर-सरदार अमर सिंह की सुपुत्री बीबी पूनम कौर का शुभ आन्नद कारज (लावें/फैरे)  जालौर में रविवार 26 नवम्बर 2023 को प्रातः गुरु मर्यादा अनुसार साहिब श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के  समक्ष सम्पन्न हुआ। श्री गुरुग्रन्थ साहिब जी के तांबे पर अजमेर निवासी भाई हरमीत सिंह ने  लावों का पाठ उच्चारण किये और कीर्तनमई लावों के पाठ का गायन तबले बाजे पर पंथ के प्रसिद्ध रागी  भाई हरप्रीत सिंह ने  कर आनंद कारज की रस्म अदा कराई, उपरान्त आन्नद कारज सम्पूर्ण होने पर भाई हरमीत सिंह ने गुरु का शुकराना करते हुए  अरदास

अपनी प्रात: का शुभारंभ प्रभु परमात्मा, श्री हरि स्मरण से करिये

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               🙏 श्री हरमिन्दर साहिब (स्वर्ण मन्दिर) अमृतसर में श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी  के अंग 477  दिनांक 05-11-2023  को  प्रात: जारी गुरुबाणी, अमृतवचन/हुकमनामा : पंजाबी, हिन्दी व अंग्रेजी में अर्थ सहित पढ़िए* 🙏    🙏 🙏  *Amrit vele da Hukamnama Sri Darbar Sahib, Sri Amritsar Sahib, Ang 477,  Date 05-Nov.-2023 🙏🙏 ਆਸਾ ॥  ਜਬ ਲਗੁ ਤੇਲੁ ਦੀਵੇ ਮੁਖਿ ਬਾਤੀ ਤਬ ਸੂਝੈ ਸਭੁ ਕੋਈ ॥ ਤੇਲ ਜਲੇ ਬਾਤੀ ਠਹਰਾਨੀ ਸੂੰਨਾ ਮੰਦਰੁ ਹੋਈ ॥੧॥ ਰੇ ਬਉਰੇ ਤੁਹਿ ਘਰੀ ਨ ਰਾਖੈ ਕੋਈ ॥ ਤੂੰ ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਜਪਿ ਸੋਈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ ਕਾ ਕੀ ਮਾਤ ਪਿਤਾ ਕਹੁ ਕਾ ਕੋ ਕਵਨ ਪੁਰਖ ਕੀ ਜੋਈ ॥ ਘਟ ਫੂਟੇ ਕੋਊ ਬਾਤ ਨ ਪੂਛੈ ਕਾਢਹੁ ਕਾਢਹੁ ਹੋਈ ॥੨॥ ਦੇਹੁਰੀ ਬੈਠੀ ਮਾਤਾ ਰੋਵੈ ਖਟੀਆ ਲੇ ਗਏ ਭਾਈ ॥ ਲਟ ਛਿਟਕਾਏ ਤਿਰੀਆ ਰੋਵੈ ਹੰਸੁ ਇਕੇਲਾ ਜਾਈ ॥੩॥ ਕਹਤ ਕਬੀਰ ਸੁਨਹੁ ਰੇ ਸੰਤਹੁ ਭੈ ਸਾਗਰ ਕੈ ਤਾਈ ॥ ਇਸੁ ਬੰਦੇ ਸਿਰਿ ਜੁਲਮੁ ਹੋਤ ਹੈ ਜਮੁ ਨਹੀ ਹਟੈ ਗੁਸਾਈ ॥੪॥੯॥ 🙏🙏 आसा ॥    जब लगु तेलु दीवे मुखि बाती तब सूझै सभु कोई ॥   तेल जले बाती ठहरानी सूंना मंदरु होई ॥१॥   रे बउरे तुहि घरी न राखै कोई ॥  तूं राम नामु जपि सोई ॥१॥ रहाउ ॥   का की मात पिता कहु का को कवन पुरख की जोई ॥   घट फूटे कोऊ बात न पूछै काढहु काढहु होई ॥२॥   देहुरी